"बिहार, झारखंड, बंगाल व ओडिशा (उड़ीसा) में यह यतीमखाना अपने तर्ज़ का वाहिद दीनी व असरी तालीम का संगम होने की वजह से मशहूर और मुम्ताज़ है जिस की तालीम-ओ-तरबीयत और खिदमत पर मुल्क के उलेमा-ए-दीन और दानिशवराने मिल्लत ने भरपूर एतेमाद का इज़हार किया है। यहाँ असरी तालीम के साथ-साथ इस्लामियात को खुसूसी मुकाम हासिल है। अदारह का मुस्तकबिल का तालीमी व तामीरा मंसूबा बहुत बड़ा है। जो माली दुशवारियों के बाएस पूरा नहीं हो पा रहा है। मसलन दारूल आफिया (अस्पताल मअ क्वार्टर की तामीर, मेहमानखाना की तामीर, मौलाना मोहम्मद अली जौहर एकेडमी की एलेहदा इमारत की तामीर। शोबा-ए-हिफ्ज़ की इमारत, डाइनिंग हॉल, मअ मतबख, और स्टाफ क्वार्टस वगैरह।
मिल्लत को यतीमखाना जैसे दीनी व असरी तालीम के अदारह की कितनी जरूरत है वह मुहताजे बयान नहीं है। आप जो भी रकमे देगें उस का एक-एक पैसा बल्कि बहैसियत मजमूअी पूरी कौम-ओ-मिल्लत के लिए फायदामंद होगा। और आप के लिए भी अज्र का बाएस होगा। रोज़मर्रा की गिरानी-ओर इस के वसीअ मसारिफ के मुकाबले में हमारी आमदनी के ज़राए बहुत ही महदूद हैं। जो भी ◉ जक़ात, ◉ फितरा, ◉अतियात व ◉ सदक़ात वगैरह दिया करते हैैं। हर साल बढ़ा कर देने की ज़हमत करें ताकि होशरूबा गिरानी पर काबू पाया जा सके और यतीम बच्चों को ज्यादा से ज्यादा राहत पहुँचाई जाए कि वह अपने यतीमी के दाग़ को भूल जाएँ।
आप सब हज़रात से भरपूर माली तआवुन की दरख्खास्त है।