"वोकेशनल (VOCATIONAL) तालीम यानी फन्नी तालीम व पेशावराना तालीम की इब्तदा किस तरह हुई और इनायत आई0 टी0 आई0 ( I.T.I.) की इब्तदा कब और कैसे हुई ? की कहानी
बानी-ए-यतीमखाना जनाब इनायत खाँ रह0 एक सदी यानी 100 साल क़बल ही से दीनी व असरी तालीम के लिए फिक्रमंद थे और सोच रखा था कि ’’लड़कों का यतीमखाना’’ कायम करने के बाद ’’लड़कियों का यतीमखाना’’ भी कायम करूगाँ। वह बिला तफरीक़ मज़हब-ओ-मिल्लत ( हिन्दु और मुसलमान ) दोनों में तालीम आम करने के लिए बेचैन रहा करते थे। अदारह ( लड़कों का यतीमखाना ) खोलने के बाद अग़राज-ओ-मक़ासिद ( Aims And Objects) में यह भी बराबर शामिल रहा था कि दीनी व दुनियावी तालीम के साथ-साथ बच्चों का मुस्तक़बिल बेहतर बनाने के लिए वोकेशनल (VOCATIONAL) तालीम यानी फन्नी तालीम ( हुनर की तालीम ) भी दी जाएगी और उन्हें हुनर मंद बनाया जाएगा। यानी तालीम के साथ-साथ सनअत-ओ-हिरफत (Industrial Training) का सिखाया जाना भी अग़राज-ओ-मका़सिद में बराबर शामिल रहा था। बानी-ए-यतीमखाना का यह भी एक ख्वाब था जिस के लिए वह बराबर 1941 ई0 के क़बल से ही कौशाँ रहें जिस का ज़िक्र अदारह की मुखतलिफ सालाना रिपोर्ट के अलावह 1945 ई0 ता 1949 ई0 की सालाना रिपोर्ट में भी मिलेगा कि तालीम के साथ-साथ हुनर की तालीम देना भी ज़रूरी है। मगर यतीमखाना की माली दुशवारियाँ और मुखालफीन हमेशा इस राह की रूकावट बने रहे। बानी-ए-यतीमखाना ने एक ज़माने में हुनर की तालीम देने के लिए किसी को बढ़ई (CARPENTER) को तलाश करने के लिए भी खत लिखा था, कि यतीमखाना में सनअत-ओ-हिरफत के तहत हुनर सिखाने का काम शुरू करूगाँ। मगर वह इस काम में भी माली दुशवारियों की वजह से अपनी ज़िन्दगी में कामयाब नहीं हो सके।
बानी-ए-यतीमखाना के चार ख्वाब (मंसूबे) थे। (1) लड़कों का यतीमखाना कायम करना (2)सनअत-ओ-हिरफत (Industrial Training) का सिखाया जाना (3) लड़कियों का यतीमखाना क़ायम करना और (4) तीन सौ (300) यतीम तलबा और तीन सौ (300) बैरूनी तलबा के लिए रहाइशगाह की तामीर और धीरे-धीरे मिडिल स्कूल से हाईस्कूल कायम होने के बाद कॉलेज और फिर कॉलेज के बाद यूनिवर्सिटी में तब्दील करने का ख्वाब था।
पहला ख्वाब उन की ज़िन्दगी में पूरा हो गया था, दूसरा और तीसरा ख्वाब उन की वफात के बाद मुकम्मल हुआ, उन की वफात के पहले और बाद सनअत-ओ-हिरफत (Industrial Training) सिखाने की तालीम का सिलसिला शुरू हुआ, बीच-बीच में चलता भी रहा और टूटता भी रहा। कभी क़हतसाली और माली दुशवारियों की वजह से और कभी बिजली (Electricity) न मिलने की वजह से बन्द करना पड़ा और आखिर में 2018 ई0 में इनायत आई0 टी0 आई0 ( ENAYETH I.T.I. ) इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट का क़याम अदारह की अपनी चौदह (14) ऐकड़ से ज्यादा ज़मीन पर दो मंज़िला खुशनुमा इमारत की शकल में अमल में आया जिस के क़याम के लिए तग-ओ-दव ( दौड़-धूप ) में तकरीबन अठाईस (28) साल लग गए थे।
बहुत सारे ओहदे दारान और खिदमतगार और कई सेक्रेटरी साहबान और सदर अपने दिल में आई0 टी0 आई0 (I.T.I.) देखने की आरजू लिए हुए अल्लाह को प्यारे हो गए। इनायत (I.T.I.) किन-किन लोगों की कुरबानियों के बाद पाया-ए-तकमील को पहुचाँ, कम से कम उन लोगों के नाम पढ़ते, देखते और सुनते चलें।
इनायत आई0 टी0 आई0 (ENAYETH I.T.I.) को चलता फिरता देखने वालों में सेक्रेटरी डा0 मो0 इहतेशाम रसूल साहब मरहूम और डा0 अब्दुल मजीद खान साहब मरहूम मेम्बर यतीमखाना थे।
जिन लोगों ने इनायत आई0 टी0 आई0 (ENAYETH I.T.I) की इमारत की तामीर में जोश-ओ-खरोश से हिस्सा लिया, उन के नाम यह हैं।
मो0 खलीक अख्तर साहब इंजिनियर मेमबर यतीमखाना जिन्हों ने बहुत मेहनत व जाँ फशानी से तामीरी काम को पाया-ए-तकमील तक पहुँचाया और शमसुल खबीर साहब इंजिनियर नाएब सदर यतीमखाना ने भी उन का साथ दिया और इंजिनियर जफरूल हसन खान साहब (अलीग) सहदेवखाप गया ने जो भी रकम उन को हक़ुल मेहनत की मिली थी, वह दुबारा यतीमखाना में बतौर-ए-अतिया दे दी थी। इंजिनियर ज़फ़रूल हसन खाँ साहब अलीग, सहदेवखाप, गया भी बहुत-बहुत शुक्रिया के मुसतहि़क हैं जिन्हों ने इस इमारत की तामीर में हर तरह से साथ दिया, डा0 अब्दुल मजीद खाँ साहब मेम्बर यतीमखाना ने यतीमखाना के हर छोटे-बड़े काम में बेलोस और बेशुमार कुरबानियाँ दी है। ख्वाह वह आई0 टी0 आई0 (I.T.I.) की बात हो या यतीमखाना के किसी शोबा की खिदमत हो। हर चीज़ में उन की खिदमात नुमायाँ हैं जिस का मुकाबला कोई भी यतीमखाना का ओहदेदार और मेम्बर नहीं कर सकता। तफसील जे़ल में हैं।
वोकेशनल तालीम (VOCATIONAL EDUCATION) यानी फन्नी तालीम (हुनर की तालीम) कितनी मुशकिलात और दुशवार गुज़ार मरहलाें से गुज़रती हुई यहाँ तक पहुँची हैं जिस का जिक्र उपर पढ़ चुके हैं, और बाकी जे़ल में पढ़ें। और जाएज़ा लेें कि इनायत आई0 टी0 आई0 (ENAYETH I.T.I.) इनायत इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट कैसे-कैसे इब्तदा से इन्तहा तक का सफर तय करता हुआ मंज़िल ब मंज़िल पहुँचा और किस तरह इनायत आई0 टी0 आई (ENAYETH I.T.I.)बना और वजूद में आया, जो आप के सामने मौजूद है।
1966 ई0 में डाक्टर अब्दुल मजीद खान साहब कोलौना, मुकीम गया शहर की कोशिश और तवज्जा दिलाने पर सैयद अमीर हैदर साहब टाईमो वाच गया शहर ने यतीमखाना के यतीम बच्चों की सनअती (INDUSTRIAL) तालीम के लिए बराए दारूस सनाए ( सनअत-ओ-हिरफत ) का हॅाल 1966 ई0 में सैयद सफीर हैदर हॉल के नाम से तामीर कराया था। सबसे पहले इस की इब्तदा बढ़ई (CARPENTER) की तालीम से एज़ाज़ी नाज़िम जनाब सैयद खुर्शीद आलम साहब एडवोकेट, गया के दौर में शुरू हुई थी। जिस में सिखाने के लिए मुकामी गाँव बैदपूरा का बढ़ई जिस का नाम चन्दर मिस्त्रीे था, रखा गया था। वह अपने काम में माहिर उस्ताद था। यह फन्नी तालीम ( हुनर की तालीम ) का शोबा बहुत अच्छे ढंग से और कामयाबी से चलने लगा था। कईं साल तक बखैर-ओ-खूबी तरक्की की राह पर गामज़न रहा। यतीमखाना के स्कूल के चार यतीम बच्चे हुनर की तालीम के साथ-साथ स्कूल में भी तालीम हासिल करते थे और फुरसत के वक्त ही में बढई (CARPENTER) का काम भी सीखते थे। और यह सभी कामयाब भी रहे, लेकिन अचानक 1967 ई0 में बिहार की क़हतसाली की वजह कर यतीमखाना माली दुशवारियों में मुबतला हो गया, और इस शोबा को बन्द कर देना पड़ा था। इन सभी बच्चों ने कलकत्ता और और बिहार के कई जगहों पर अपनी-अपनी दुकान खोली और इस शोबे में बहुत कामयाब रहे।
दारूस सनाए (सनअत-ओ-हिरफत INDUSTRIAL TRAINING) के हॉल में बढ़ई (CARPENTER) का काम बन्द हो जाने के कई साल बाद इसी सैयद सफीर हैदर हॉल में जी0 एम0 ओ0 टी0 टी0 आई0 (G.M.O.(T.T.I) TECHNICAL TRAINING INSTITUTE) खोलने का एलान कर दिया गया और बाद में तरक्की करने पर आइन्दा आगे का बड़ा मंसूबा यतीमखाने से मुलहिक उत्तर जानिब चौदह एकड़ से जाएद ज़मीन पर ले जाने का था, उस का क़याम 23 सितम्बर 1990 ई0 में अमल में आया था जिस का प्रोस्पेक्टस (PROSPECTUS) जी0 एम0 ओ0 टी0 टी0 आई0 (G.M.O.T.T.I) का पूरा नाम ( GAYA MUSLIM ORPHANAGE TECHNICAL TRAINING INSTITUTE) के नाम से शाए हुआ था। यह सर्टिफिकेट कोर्स था जिस की कीमत मुबलिग पच्चीस रूपये (Rs.25/-) थी जिस में तीन ट्रेड शुरू करने का एलान किया गया था (1) वेल्डर (Welder) दो साल (2) वायरमैन (Wire Man) एक साल और (3) सिविल ड्राफ्ट्समैन (Civil Drafts Man) एक साल का था जो आरज़ी तौर पर इसी इंडस्ट्रीयल (Industrial) हॉल में शुरू करने का एलान किया गया था जिस में जनाब मंज़ूर आलम साहब मरहूम आज़ाद सोप फैक्ट्री गया शहर, मेम्बर यतीमखाना इस्लामिया गया ने वेल्डिंग मशीन (Welding Machine) की खरीदारी के लिए सितम्बर 1990 ई0 में बीस हजार रू (Rs.20.000)दिया था जिस का ज़िक्र यतीमखाना के रिज़ोल्यूशन बुक में मौजूद है। उन्हीं की रकम से वेलडिंग (Welding) मशीन खरीदी गई, और एक उस्ताद, ( सआदत करीम खान साहब मौज़ा बाजू डाकखाना बाराचट्टी जिला गया वेल्डिंग का काम सिखाने वाले ) की निगरानी में काम शुरू कर दिया गया। बिजली की फराहमी, ( Electric Supply इलेक्ट्रीक सप्लाई ) लगातार कई-कई घंटे न होने की वजह और बिजली की आँख मचोली की वजह से कई माह तक बहुत इतंजार के बाद बिजली न मिलने की वजह कर आखिर यह वेल्डर (Welder) सिखाने का काम बंद कर देना पड़ा। उस्ताद का खर्च, कई माह अदारह के अलावह, डा0 क्यू0 एच0 खाँ साहब मरहूम ने अपनी जेब-ए-खास से दिया था। इस उम्मीद पर की शायद बिजली मिलने लगे और बिजली की सप्लाई ठीक हो जाए और काम दुबारा शुरू हो जाए। ये सैयद खुर्शीद आलम साहब साबिक सेक्रेटरी और मेम्बर यतीमखाना और डा0 क्यू0 एच0 खान साहब सेक्रेटरी यतीमखाना के दौर की बाते थीं।
सैयद सफीर हैदर हॉल ( दारूस सनाए सनअत-ओ-हिरफ़त ) आज भी मौजूद है, जहाँ अब कम्प्यूटर की तालीम दी जाती हैं। इनायत आई0 टी0 आई0 (ENAYETH I.T.I.) इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इन्स्टीच्यूट की दो मंजिला इमारत जो चौदह ऐकड़ से जाएद ज़मीन पर खडी़ है उसी ज़मीन पर जी0 एम0 ओ0 टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट का संग-ए-बुनियाद (Foundation Stone) 7,नवम्बर 1993 इसवी को इज़्ज़त मआब आली जनाब डा0 एखलाकुर्रहमान किदवाई साहब मरहूम गर्वनर बिहार ने रखी थी। उसी मौके पर जलसा यौम-ए-तासीस के प्रोग्राम में जनाब गुलाम हैदर खान साहब हैदराबाद कनवेनर ऑल इंड़िया आइ0 डी़0 बी0 जद्दा ( सऊदी अरब) मौजूद थे जिन्हों ने जलसा यौम-ए- तासीस के मौके पर अपनी तक़रीर में फरमाया था कि इस वक़्त दुनिया में दो चीजे़ं दौड़ (Run) रही हैं। एक मज़हब की दौलत है और दूसरा दौलत का मज़हब हैं। जिस को जो पसंद है, अपने लिए चुन ले।
इनायत आई0 टी0 आई0 ( Enayeth I.T.I. ) इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट का है। इस वक़्त तालीम के साथ-साथ मौजूदा माद्दा परस्ताना साइंसी दौर में फ़न्नी तालीम, पेशावराना तालीम की कल भी और आज भी सख्त ज़रूरत है ताकि तलबा तालीम के साथ-साथ रो़जी रोटी का भी मसला हल कर सकें, ज़माना के लिहाज़ से दीनी तालीम के साथ-साथ असरी तालीम के तकाज़े पूरे करने के लिए एक टेक्निकल इंस्टिट्यूट का कयाम बहुत जरूरी था। जिसका पहला बुलू प्रिन्ट (Blue Print) पहला प्रोजेक्ट (Project) जनवरी 1985 ई0 में इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (I.D.B.) जद्दह (सऊदी अरब) को आज से तकरीबन अठाईस (28) साल (क़बल) पहले के सेक्रेेटरी जनाब सैयद खुर्शीद आलम साहब एडवोकेट मरहूम एज़ाज़ी नाज़िम के दौर में पहला आई0 टी0 आई (I.T.I.) के बुलू प्रिंट (Blue Print) का प्रोजेक्ट (Project) भेजा गया था।
पहले (प्रोजेक्ट) आई0 टी0 आई0 (I.T.I.) के बुलू प्रिन्ट को बनवाने में डा0 अब्दुल मजीद खान साहब मरहूम और इंजिनियर मो0 आले रसूल साहब मरहूम आगे-आगे थे और बहुत पहले से उस का मास्टर प्लान बनवाने के लिए तैयारी कर रहैं थे। उन्होंने उस को बनवाने में अपना खून पसीना एक कर दिया था। इंजिनियर मो0 आले रसूल साहब मरहूम, जो बाद में यतीमखाना के ज्वाइंट सेक्रेटरी बनाए गए थे, गया शहर से चेरकी बज़रिया बस (Bus) जनाब डा0 अब्दुल मजीद खाँ साहब मरहूम मेम्बर यतीमखाना जो बानी-ए-यतीमखाना के छोटे बेटे थे, उन के साथ गया से चेरकी बराबर और अकसर इतवार के दिन आया जाया करते थे। फिर दूसरा बुलू प्रिन्ट (Blue Print) प्रोजेक्ट (I.D.B. Project) वालों की हिदायत पर डा0 कमरूल हसन खाँ साहब मरहूम, सेक्रेटरी यतीमखाना के दौर में भेजा गया था। फिर तीसरा बुलू प्रिन्ट (Blue Print) प्रोजेक्ट (Project) सऊदी अरब से यतीमखाना में इन्कवायरी में आए हुए लोगों की हिदायत पर छोटा प्रोजेक्ट बनवाकर डा0 मो0 इहतेशाम रसूल साहब मरहूम एज़ाज़ी नाज़िम के दौर में भेजा गया था। जो आसानी से और जल्द ही पास हो गया था।
हर प्रोजेक्ट के बनवाने में डाक्टर अब्दुल मजीद खान साहब की खिदमात नुमायाँ और शामिल रही थीं। आज I.D.B. के माली तआवुन और उन की मदद से (I.T.I.) की दो मंजिला शानदार इमारत खड़ी हो गई है। इस की तामीर में डा0 अब्दुल मजीद सााहब मेम्बर यतीमखाना, मो0 आले रसूल साहब, ज्वाइंट सेक्रेटरी, डा0 मो0 मतीउल्ला साहब सदर यतीमखाना, इंजिनियर ज़फरूल हसन खान साहब (अलीग) जिन के दस्तखत और निगरानी में इमारत तामीर हुई और I.D.B. से जो भी ऱकम दो या चार लाख रूपये हक़ुल मेहनत में मिली थी उस को उन्हाें ने लेने के बाद (I.T.I.) के फंड में दोबारा वापस (I.T.I.) में अतिया कर दिया था। इंजिनियर मो0 खलीक़ अख्तर साहब गया ने (I.T.I.) की बिलडिंग की तामीर में जी जान सें हिस्सा लिया और शमसुल खबीर साहब ने भी उन का साथ दिया। अब इनायत आई0 टी0 आई0 (Enayeth I.T.I.) की इमारत को जो चलता फिरता आज आप अपनी आँखों से देख रहे हैं, अब जहाँ 2018 ई0 से बाजाबता तालीम भी शुरू हो गई हैं और तालीम दो ट्रेड में शुरू हो गई है। (1) इलेक्ट्रीशियन ट्रेड (Electrician Trade) और (2) फीटर ट्रेड (Fitter Trade)
याद रखें बानी-ए-यतीमखाना की दूर अंदेशी थी और कमाल था कि लड़कोें और लड़कियों में तालीम और टेक्नोलोजी की तालीम आम करने के लिए एक सदी (107 साल) क़बल जो ख्वाब देखा था और मंसूबा बनाया था आज उस में से तीन ख्वाब और मंसूबा पूरा हो गया है,। ग़र्ज यह यतीमखाना दीनी व दुनियावी तालीम का हसीन संगम बन गया है, जहाँ असरी तालीम के साथ-साथ पाँच ज़बानों अरबी, उर्दू, फारसी, अँग्रज़ी, और हिन्दी की तालीम दी जाती है, जहाँ दीनी असरी तालीम के साथ हिफ़्ज़ भी कराया जाता है। अब साइंस व टेक्नोलोजी की भी तालीम देने का सिलसिला शुरू हो गया है। फासलाती तालीम (Distance Education) जिस का स्टडी सेन्टर (Study Centre) यतीमखाना इस्लामिया गया अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मंजूरशुदा है, जहाँ कई कोर्स I.A., B.A., M.A., और BLIS यानी लाइब्रेरी साइंस के चल रहे हैं। ग़र्ज यह अदारह हर शोबा-ए-ज़िन्दगी पर मुहीत है और तरक्क़ी की तरफ रवाँ दवाँ है। जो बानी-ए-यतीमखाना के हर ख्वाब को पूरा करता दिखाई दे रहा है एक छोटे से बीज ने तनावर दरख्त की शकल इख्तेयार कर ली है। अल्लाह मज़ीद दिन दूनी रात चौगनी तरक्क़ी दे ! आमीन !
2018 ई0 से इलेक्ट्रीशियन ट्रेड (Electrician Trade) की तालीम शुरू हो गई थी और 2020 ई0 में दूसरा ट्रेड फीटर (Fitter) का कोर्स भी शुरू हो गया है। हर कोर्स दो, दो साल (2 Years) का है। जो भारत सरकार के (N.C.V.T.) से मंजूरशुदा है,। दाखिला फार्म और प्रोस्पेक्टस की कीमत एक सौ (100) रूपये है। (Rs.100) रक़म मनी आर्डर या चेक या ड्राफ्ट से भेज कर हासिल किया जा सकता है।
नोट(1) यतीमखाना के आई0 टी0 आई0 में दाखिला के ख्वाहिशमंद यतीम तलबा, जी0 एम0 ओ0 उर्दू हाई स्कूल से मैट्रिक (MATRIC) पास करने के बाद दाखिला के लिए दरख्वास्त (APPLY) कर सकते हैं।
(2) यतीमखाना के तलबा का दाखिला मअ खोराक व रहाइश मुफ्त है और तालीम भी मुफ्त दी जाती है। यतीमखाना उन का खर्च बर्दाश्त करता है।
याद रखें दाखिला के लिए हर ख्वाहिशमंद तालिब इल्म दाखिला फार्म और प्रोस्पेक्टस घर बैठे रक़म भेज कर हासिल कर सकते हैं।
ज़ेरे सरपरस्ती व ज़ेरे इंतज़ाम |
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