गया शहर एक मशहुर और क़दीम शहर है। जो बोध गया में कायम महात्मा बुद्ध के मन्दिर की वजह से पुरी दुनिया में जाना जाता है। अदारह गया शहर से गयारह मील (18 किलोमीटर) के फासले पर गया और शेरघाटी के बीच सड़क से पूरब जानिब "चेरकी" में एक खुले और पुर फिज़ा मुक़ाम पर लबे सड़क (चेरकी) में चारों तरफ इमारत से घिरी एक शानदार और पुरशिकोह व पुर जलाल मस्जिद के साथ वाकेअ है। यहाँ की आब-ओ-हवा गर्म और सर्द है। गर्मी के दिनों में बहुत सख्त गर्मी पड़ती है। और जाड़े के मौसम में बुहत सख्त सर्दी पड़ती है। चेरकी मशरिक़ी हिन्द (EASTERN INDIA) का एक मशहुर-ओ-मारूफ मुक़़ाम है। जहाँ एक छोटी सी जगह चेरकी (CHERKI) में मिल्लत के फायदे के लिए बैक वक़्त कई बडे़-बड़े अदारे चल रहे है। मुक़ाम "चेरकी" यतीमख़ाना इस्लामिया गया की वजह कर पुरी दुनिया में जाना जाता है। यहाँ ज़रूरत की सारी चीज़ें बा आसानी दस्तयाब हैं। यह अदारह दीनी व दुनियावी तालीम के इमतेज़ाज का चमन सदा बहार है। और बिला मुबालग़ा बिहार का कोना-कोना इस से मनव्वर और रौशन है। जहाँ हर वक़्त ऑटो रिक्शा (Auto Rickshaw), बस (Bus) और दीगर सवारियों से आमद-ओ-रफ़्त का सिलसिला जारी रहता है।
बानी-ए-यतीमखाना ने एक सदी सौ (107) साल कबल जो ख्वाब देखा और सोच (THINK) रखा था वह चार (4) थे जिस के लिए वह बराबर फिक्रमंद और बेचैन रहा करते थे ।