शौबाजात (DEPARTMENTS)

तरीक़ा-ए-तालीम Mode of Education

तुलबा को मुखतलिफ क़िस्म के मजा़मीन पढ़ाते वक़्त इस बात का पूरा-पूरा ख्याल रखा जाता है कि तुलबा के ज़ेहन में तौहीद, रसालत का तसव्वर पूरी तरह रच बस जाए और इस्लाम से गहरी दिलचस्पी व वाबिस्तगी पैदा हो जाए ।


मरहला इब्तदाई STAGE 1(INTRODUCTORY PHASE)
मुद्दते तालीम ( पाँच साल) दरजा अव्वल (I) ता पंज़ुम(V), इन दरजात में नाज़रा, दिनीयात ( उर्दू, हिन्दी, अँग्रेजी), के साथ साथ सरकारी असरी मज़ामीन की भी तालीम दी जाती है । नोट:- 1. दर्जा अव्वल से अँग्रेजी तालीम शुरू करा दी जाती है। 2. यतीमखाना में 1919 इस्वी से ही सरकार से मजुंशुदा चेरकी ओरफन मकतब (Cherki Orphan Maktab) यानी लोवर प्राईमरी मकतब कायम है।

मरहला सानवी STAGE 2 (PRIMARY PHASE)
मुद्दते तालीम (तीन साल) दर्जा शशुम (VI) ता (VIII) हश्तुम इन दर्जात में इस्लामियात, अरबी, फारसी के साथ - साथ जुमला सरकारी असरी मुज़ामीन की भी तालीम दी जाती है .

नोट
यतीमखाना में दरजा शशुम (VI) और दरजा हफ्तुम (VII) की तालीम प्राईवेट यानी निजी तोर पर दी जाया करती थी मगर 1962 ई0 ही मे चेरकी मुस्लिम औरफेनेज मिडिल स्कूल (Cherki Muslim Orphanage Middle School) के नाम पर मंजूर हो गया था ।

मरहला आला STAGE 3 (HIGHER SECONDARY PHASE)
मुद्दते तालीम (दो साल) दर्जा नहुम (IX) ता दहुम (X) इन दर्जात में भी इस्लामियात, अरबी के साथ साथ जुमला सरकारी मुजामीन की तालीम बिहार बोर्ड के निसाब के मुताबिक दी जाती है और मैट्रिक का इम्तहान अदारह ही से दिलाया जाता है ।

जी0 एम0 ओ0 उर्दू हाई स्कूल G.M.O. URDU HIGH SCHOOL
जी0 एम0 ओ0 उर्दू हाई स्कूल जो 1981से क़ायम है जिस को बिहार मैट्रिक बोर्ड के इम्तहान का फार्म भरने का इजाज़तनामा बिहार सरकार की तरफ से ( बग़ैर माली तआवुन के ) हासिल है । नोट :- बिहार बोर्ड से इसे स्कूल कोड (81525) मिल गया है ।

बिहार स्कूल एक्जामीनेशन बोर्ड (Bihar School Examination Board)
बिहार स्कूल एक्जामीनेशन बोर्ड के मैट्रिक इम्तहान का हर साल का नतीजा इम्तहान सद फी सद (100%) हुआ करता है। यहाँ से तालीम पाने वाले तलबा बा आसानी आलिमियत के साल-ए-अव्व्ल व दोम में दाखिला ले सकते हैं ।

वोकेशनल टेक्निकल तालीम ( Vocationl Technical Education )
आज का मौजूदा दौर चूँकि साइंसी और फन्नी एतबार से तरक्की याफता दौर है। इस में तालीम के साथ साथ फन्नी तालीम और पेशावराना तालीम की सख्त ज़रूरत है ताकि तलबा मुसतक़बिल में अपने लिए बेहतरीन रोजगार हासिल कर सकेें।

बिहार के साबिक गर्वनर इज़्ज़त मआब जनाब डा० एखलाकुर्रहमान क़िदवाई साहब मरहूम ने यतीमखाना से मुलहिक ( 16 ऐकड़ ) जमीन पर जी0 एम0 ओ0 टी 0टी 0 आई (G.M.O.T.T.I) टेक्निीकल ट्रेनिंग स्कूल ( आई 0टी0आई की तर्ज पर) की तामीर का संगे बुनियाद रखा था । उसी ज़मीन पर इनायत ( I.T.I)इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इन्स्टीच्यूट की दो मंज़िला शानदार इमारत खड़ी हो गई है और तालीमी सिलसिला का आगाज़ 2018 ई0 से 2 ट्रेड से शुरू हो गया है। (1) इलेक्ट्रीशियन(ELECTRICIAN) और (2) फिटर ( FITTER)
कम्प्यूटर की तालीम (Computer Education): यतीमखाना के स्कूल में तलबा को कम्प्यूटर की तालीम भी दी जाती है ।

फासलाती निज़ामे तालीम( Distance Education)
फासलाती निज़ामे तालीम के तहत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिर्वसिटी से मंजूर शुदा स्टडी सेन्टर यतीमखाना इस्लामिया गया में 2007 ई0 से कायम है।
साल 2024-25 के लिए आई0 ए0 (I.A.), बी॰ए॰ ( B.A.), एम॰ए॰ ( M.A.) और बैचलर ऑफ लाइब्रेरी एन्ड इन्फारमेशन साइंस ( Bachelor of library & information science) में दाखिला जारी है।

शोबा-ए-हिफ़्ज़-ओ-तजवीद (Qur’an Memorization)
हिफ्ज के साथ-साथ दर्जात की भी तालीम दी जाती है । नमाज-ए-फ़ज्र के बाद तलबा को कुरान शरीफ नाजरा पढ़ाया जाता है। अरबी व इस्लामियात की तलीम दर्जा में दी जाती है ।

शोबा-ए-निसवाँ ( Girls’ Education)
यतीमखाना के स्कूल में तलबा की तरह तालिबात भी दर्जा पजुंम तक तालीम हासिल किया करती हैं ।

नोट ऊँचें दरजात में लड़कियों की तालीम का सिलसिला बंद कर दिया गया है, इस लिए कि इलाका में सिर्फ लड़कियों की तालीम के लिए मिल्लत के दो अदारे खुल गए हैं ।

कफ़ाला स्कीम (Sponsorship)
इस स्कीम के तहत एक यतीम बच्चे का सालाना खर्च पच्चीस हजार (Rs 25,000/) रू0 है । आप भी एक यतीम बच्चे की कफालत का बार उठा कर कार-ए-खैर में हिस्सा लें ।

मुफ्त तालीम का नज़्म / निस्फ मुफ़्त तालीम का नज़्म (free ship / Half free ship)
जी0 एम0 ओ 0 उर्दू हाई स्कूल (G.M.O. Urdu High School) और जी 0 एम0 ओ0 उर्दू मिडिल स्कूल (G.M.O. Urdu Middle School) के ग़ैर यतीम बच्चे जो अपना खर्च नहीं बर्दाशत कर सकते हैं, उन के लिए मुफ्त या निस्फ मुफ्त तालीम का नज़्म है । यह मुफ्त तालीम का नज़्म पूरे साल के लिए होता है ।अगर उनकी कार कर्दगी और अखलाक-ओ-मुआशरात तशफ़्फ़ी बख्श नहीं पाया जाता है तो यह मुफ्त तालीम का नज़्म (Freeship) मुस्तरद कर दिया जा सकता है । मुफ्त तालीम का नज़्म या निस्फ मुफ़्त तालीम का नज़्म उन के सरपरस्त की आमदनी के मुताबिक़ फराहम की जाती है।

तलबा का इमदादी फंड ( Students’ Aid Fund )
यतीमखाना के स्कूल में बाहरी गै़र यतीम तलबा से एक छोटी सी रक़म दाखिला के वक़्त ली जाती है । इस फंड से यतीमखाने के स्कूल के ज़रूरत मंद बच्चाें की ज़रूरत के तहत और गैर मामूली कारनामाें के लिए मदद दी जाती है ।

रहाईशगाह (HALLS OF RESIDENCE) बोर्डिगं/ होस्टल (BOARDING/HOSTEL)

अदारह के अहाते में तलबा के रहने के लिए छः होस्टल हैं :-

  1. अल्लामा इक़बाल होस्टल( ALLAMA IQBAL HOSTEL)
  2. अल्लामा शिबली होस्टल( ALLAMA SHIBLI HOSTEL)
  3. सैयद मोहम्मद नाज़िर हुसैन होस्टल( SAYED MOHAMMAD NAZIR HUSAIN HOSTEL)
  4. सैयद मोहम्म्द उमर दराज़ होस्टल( SAYED MOHAMMAD UMAR DRAAZ HOSTEL)
  5. डा॰ अबूल खैर होस्टल( DR.ABUL KHAIRHOSTEL)
  6. ख्वाजा ग़यासुद्दीन होस्टल( KHWAJA GHEYASUDDIN HOSTEL)

यतीम व गैर यतीम तलबा का रहना सहना और खाना-पीना एक ही साथ हुआ करता है जो मसावात का मिसाली और आला नमूना है । उम्र और दर्जात के हिसाब से मुखतलिफ होस्टलों में रखने का नज़्म है । फिलहाल तकरीबन एक सौ पाँच (105) तलबा दारूल अक़ामा में रहा करते हैं । जहाँ तालीमगाह है, वहीं अक़ामत गाह है । इस लिए तलबा को कहीं आना जाना नहीं पड़ता । यहाँ तालीम के साथ - साथ तरबियत पर भी पूरी तवज्जा दी जाती है ।

स्कूल यूनीफार्म School UNIFROM
सारे तलबा व तालिबात को स्कूल के औकात में अदारह का यूनिफार्म पहनना ला़जमी है । तलबा को आसमानी रंग का कुर्ता सफेद पायजामा, और रामपूरी काली टोपी और तालिबात को आसमानी रंग का जम्पर, सफेद शलवार और सफेद दुपट्टा पहनना लाज़िमी हैै। सर्दी के मौसम में तलबा को काला मफलर और गहरे हरे रंग का स्वेटर और तालिबात को काला स्कार्फ और गहरे हरे रंग का स्वेटर तालीमी औक़ात में पहनना लाज़िमी है ।

मौलाना मोहम्मद अली जौहर ऐकेडमी ( लाइब्रेरी)
Maulana Mohammad Ali Jauhar Academy(LIBRARY)

यह मौलाना मोहम्म्द अली जौहर रह0 की याद में क़ायम किया गया है । वह एक अज़ीम मुजाहिद -ए- आजा़दी और आलम-ए-इस्लाम के मायानाज रहनुमा थे । आलम-ए-इस्लाम ने अल्लामा इकबाल जैसा शाएर और मौलाना मोहम्मद अली जौहर जैसा रहनुमा पैदा नहीं किया । उन्होंने बरतानिया में शहंशाह-ए- बारतानिया के सामने बे बाकी से तक़रीर की । उन्हों ने गा़ेल मेज़ कान्फ्रेस लंदन में कहा था कि ” वह एक गुलाम मुल्क को वापिस नहीं जाएँगे जब तक आजादी का प्रवाना उन के हाथ में न दे दिया जाए । नहीं तो दो गज़ ज़मीन क़ब्र के लिए देनी पड़ेगी । अगरचे उन्हाें ने आज़ादी का प्रवाना हासिल नहीं किया लेकिन अपने कब्र के लिए दो गज़ ज़मीन हासिल कर ली । बैतुल मुकद्दस के मुफ्ती-ए-आज़म साहब ने कहा था कि ” वह पूरे आलम-ए-इस्लाम के अज़ीम रहनुमा थे इस लिए इन को यहीं दफन किया जाए । लिहाजा उन्हें बैतुल मुक़द्दस में दफन किया गया । अँग्रेंज उन के अखबार ” कामरेड (comrade) को बतोरे तोहफा बरतानिया भेजा करते थे । अखबार पढ़ने से पहले अँग्रेज बग़ल में डिक्शनरी (Dictionary) रखा करते थे । तब वह अखबार पढ़ा करते थे । यह उन के अँग्रेंजी ज़बान- ओ- अदब का हाल था।

उस में मुखतलिफ क़िस्म की किताबें तफसीर-ए-कुरान, हदीस, फिकह, तारीख, सवानह, खुद नविशत सवानह हयात, इस्लामी किताबें, उर्दू, हिन्दी और अँग्ंरेजी अदब, साइंस, अरबी और इस्लामी किताबें वग़ैरह मौजूद हैं । मुखतलिफ किस्म के मैगजीन, माहनामा, सेमाही, शशमाही और सालाना मैगजीन वग़ैरह भी मौजूद है .

अल्लामा सैयद सुलेमान नदवी रीडिंग रूम (दारूल मुतालआ)
(ALLAMA SYED SULAIMAN NADVI READING ROOM)

यह सैयद सुलेमान नदवी रह0 की याद में क़ायम किया गया है। वह एक मशहूर माया नाज़ इस्लामी आलिम-ए-दीन, तारीखदाँ, सवानेह निगार और बुलंद पाया मुसन्निफ थे। उन्हाें ने बहुत सारी माया नाज़ किताबें तसनीफ की थीं जैसे- सीरत-उन-नबी (नबी करीम स0 की सवानेह हयात) जिल्द अव्वल ता हफतुम जिस से अरबी लाइब्रेरी खाली है, खुतबाते मद्रास (पैग़म्बर पर तक़रीरें), अरबाें की जहाज़रानी, उमर खय्याम, हज़रत आएशा सिद्दिक़ा की सवानेह हयात वगैरह ।
इस में मुखतलिफ़ क्रिस्म के हफ्तावार, माहनामे, सेमाही, शशमाही, और सालाना मैगज़ीन और, उर्दु, हिन्दी, अँग्रेज़ी और अरबी के रसाले मौजूद हैं। उर्दू, हिन्दी और अँग्रेज़ी के रोज़नामे आते हैं ।

याद रखें लाइब्रेरी के औक़ात में असातज़ह तलबा और दूसरे हज़रात को (1) मौलाना मोहम्मद अली जौहर एकेडमी में और (2) अल्लामा सैयद सुलेमान नदवी रीडिंग रूम में बैठ कर पढ़ने की इजाज़त है ।

कुतुबखाना (Book Bank)
अदारह में एक कुतुबखाना भी है, जहाँ से सिर्फ यतीम तलबा को दर्जात की सारी किताबें मुफ्त दी जाती हैं। बच्चों की अपनी दुकान (Children’s Own Shop): जिस का नाम ’’अपना बाजार’’ है। अदारह के अहाते में बच्चों की अपनी दुकान है जहाँ तलबा अपनी ज़रूरत का सामान किताब, कॉपी, क़लम, कट पेन्सिल, तरह-तरह के बिस्किट, तरह-तरह की टॉफियाँ वग़ैरह खरीदा करते हैं ।

बच्चों का अपना बैंक (Children’s Own Bank)
अदारह के अहाता में बच्चों का अपना बैंक है, जिस में तलबा असातजह की सरपरस्ती में पास बुक (Pass Book) के साथ-साथ अपनी रक़में जमा किया करते हैं और अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ निकाला करते हैं।

डाक्टर अबुल खैर इलाज घर (Dr. Abul Khair Sick Room)
अदारह के अहाते के अन्दर यह तीन बिस्तरों (Beds) पर मुशतमिल मरीज़ का कमरा है। ज्यादा बीमार बच्चाें को वहीं रखा जाता है। उनका मुक़ामी और गया शहर के डाक्टरों से भी इलाज कराया जाता है ।

नोटडाक्टर अबुल खैर साहब मरहूम खिदमते खल्क़ के नमुना थे। ’’जब कोई यतीम बच्चा ज्यादा बीमार पड़ जाता था तो वह खुद अपनी गाड़ी लेकर आते और साथ गया शहर अपने दवाखाना में ले जा कर इलाज किया करते थे। दूसरे खिदमते खल्क़ के नमूना डाक्टर कमरूल हसन खान (क्यू0 एच0 खान) मरहूम गया थे। जो यतीमखाना इस्लामिया गया और मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया के यतीम बच्चों और बच्चीयों का इलाज मुफ्त बगैर फीस के किया करते थे और सारी दवाएँ भी मुफ्त दिया करते थे ।

इनायत म्यूज़ियम ( इनायत अजाएब घर Enayeth Museum)

इनायत म्यूज़ियम में बानी-ए-यतीमखाना से मुतल्लिक उन के शुरू से आखिरी दौर तक की तरह-तरह की मुखतलिफ जगहों से मुखतलिफ चीजे़ं म्यूज़ियम के लिये हासिल की गई हैं, जमा की गई हैं। अभी म्यूज़ियम का इब्तदाई दौर है। पुराने रिकार्ड में तलाश का सिलसिला जारी है।

बानी-ए-यतीमखाना के उर्दू और अँग्रेजी में लिखे हुए नादिर-ओ नायाब चन्द खुतूत भी हैं। मसलन फायर ब्रिगेड कलकत्ता में नौकरी लगने से 1916 ई० से पहले का एक अँंग्रेजी में लिखा हुआ पोस्ट कार्ड 1933 ई0 का नादिर-ओ-नायाब पोस्ट कार्ड जिसमे यतीमखाना में ताला लग जाने का ज़िक्र है। 1938 ई० का ’ लड़कियों का यतीमखाना ’’ कोलौना में खोलने का बानी के हाथ का लिखा हुआ खत और बहुत सारे यतीमखाना से मुतल्लिक 1917 ई० से 1956 ई0 तक के नादिर-ओ-नायाब खुतूत हैं। सालाना रिपोर्ट जब से शाए होना और छपना शुरू हुई थी। 1936 ई० ता 1956 ई० तक की मौजूद हैं। दो नए यतीमखाने का जन्म, पहला मुस्लिम लीग वालों का सनअती यतीमखाना शहर गया और दूसरा वहीदिया यतीमखाना शहर गया का पमफलट,। 1942 ई० में अल्लामा क़ौस हमज़ापूरी की लिखी हुई, सालाना जलसा और दूसरे मौकों पर पढ़ी गई नज़म मसलन मस्जिदे यतीमखाना के बुनियाद के वक़्त की नज़म,नज़म, शिकवा-ए-कौ़म वगैरह हैं ।

1948 ई० से क़बल का मस्जिदे यतीमखाना की तामीर का नक्शा, 1935 ई० के उस्ताद की बहाली की दरख्वास्त (अँग्रेजी़) और उस्ताद को अदारह मे जाने की मंजू़री मिल जाने पर उस्ताद का जवाबी खत, यतीमखाना के मुखालफीन का अमारत शरिया फुलवारी शरीफ, पटना से फतवा हासिल करने वाला खत् और जवाब, मौलाना फसाहत हुसैन क़ासमी साहब सदर यतीमखाना के नाम खत् मअ तंज़िया अशआार, कोर्ट में मुखालिफ का तहरीरी बयान, मुकदमा नम्बर 34, 1942 ई०, मुद्दअी शेख मोहम्मद हनीफ सोलरा, मुद्दालय इनायत खाँ बानी-ए-यतीमखाना, 1935 ई0 सालाना जलसा यतीमखाना का अँग्रेजी में छपा दावत नामा, बानी-ए-यतीमखाना के रिटायरमेंट के वक्त की दी गई अलविदाइ तक़रीब (FAREWELL), फायर ब्रिगेड कलकत्ता का छपा हुआ अँग्रेजी में दावत नामा, यतीमखाना के मुखालफीन का 1935 ई0 का छपा हुआ । पमफलट, गोल्डन जूबली, पलैटिनम जूबली के वक्त का दावती कार्ड, पमफलट और उलेमा-ए-दीन व दानिश वरान-ए-मिल्लत और मशाहीरीन का खत व आमद का जवाब, पैगामात, 75 सालह सोविनियर, पहले और पुराने दौर के मअमारान-ए-यतीमखाना, असातज़ह, खिदमतगार और ओहदा-दारान की तस्वीरें, यतीमखाना की नई और क़दीम दौर की तस्वीरें मसलन, मस्ज़िदे यतीमखाना, यतीमखाना की (कच्ची व पुख्ता इमारतें ), कुरान का क़लमी नुस्खा और म्युजियम में उस की फोटो कॉपी, यतीमखाना की कहानी बानी-ए-यतीमखाना की ज़बानी’’ का पहला और दूसरा एडीसन, यतीमखाना से मौलाना मोहम्मद अली जौहर एकेडमी के जरिया शाए किताबें, (1) यतीमखाना की कहानी, बानी-ए-यतीमखाना की ज़बानी, (2) मुर्दा माँ और बेटे की मुरासलत, (3) मजमुआ श्किवा ( हाली, अल्लामा इक्बाल और अल्लामा कौस हमज़ापुरी मरहूम), (4) रौशन तहज़ीब, शाह रशाद उसमानी, यतीमखाना से मुतल्लिक बहुत सारी क़लमी नज़्में मसलन अल्लामा नावक हमज़ापुरी वगैरह की भी हैं, मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया, कोलौना में, बानी-ए-यतीमखाना की लकड़ी की बड़ी चौकी, आराम कुर्सी, वगैरह मौजूद हैं।

नोट(1) लकड़ी की चौकी, लकड़ी की कुर्सी, आराम कुर्सी (EASY CHAIR) वगैरह यह सब सिर्फ ’’मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया,’’ कोलौना के इनायत म्यूज़ियम में मौजूद हैं। (2) मकतबा इनायत, मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया’ से शाए की गई किताबें (1) मिल्लत में गुम हो जा (2) एक बूढ़े की सरगुज़श्त ( मुख्तसर तारीखे यतीमखाना) (3) तुर्की का एक अज़ीम मुजाहिद (ग़ाज़ी अनवर पाशा शहीद रह0) (4) जल्द अशाअत होने वाली, छपने वाली, ’’यतीमखाना की कहानी, बानी-ए-यतीमखाना की जुबानी मअ अज़ाफा, बानी-ए-यतीमखाना के बाद कौन-कौन थे ? और क्या थे ? तीसरा एडीसन (5) सवानेह इनायत और तारीख-ए-यतीमखाना वग़ैरह ।

याद रखें इनायत म्यूज़ियम में बाद के दौर की भी सालाना रिपोर्ट, ख़त और दूसरी दस्तावीज़ात भी रहेंगी। दीनी अदारह को देखना भी सवाब है। आप एक बार अदारह में ज़रूर तशरीफ लाएँ और साथ-साथ इनायत म्यूज़ियम की भी सैर करें ।

जलसा यौम-ए-तासीस (FOUNDATION DAY)
हर साल अक्तूबर में जो अदारह की बुनियाद का महीना है, जश्न यौमे तासीस बहुत धूम-धाम और तुज़्क-ओ इहतेशम के साथ दो नशिस्तों में मनाया जाता है, पहली नशिस्त में जलसा सीरत-उन-नबी (स0) का इनअकाद किया जाता है जिस में उलमा-ए-दीन और दानिशवराने मिल्लत को मद्दऊ किया जाता है। दूसरी नशिस्त में जलसा यौमे तासीस की तक़रीब मुनअक़िद की जाती है, जिस में मुल्क की अहम शख्सियात ( मरक़जी/रियासती हुकूमत के आला ओहदेदारान) जिला इंतेजामिया या अज़ीम समाजी शख्सियात को मद्दऊ किया जाता है ।

तालीमी हफ़्ता ( Educational Week)
हर साल पाबंदी से तालीमी हफ़्ता मनाया जाता है, जिस में मुखतलिफ किस्म के खेलों के मुक़ाबले स्पोर्ट्रस (Sports) और कई ज़बानों में तहरीरी व तक़रीरी मुक़ाबला, कलचरल प्रोग्राम, बैत बाज़ी, बच्चों का मुशाएरा, ड्रामा वगैरह भी कराने की कोशिश की जाती है और किसी मुअज़्जज़ हस्ती से ईनामात तकसीम कराए जाते हैं ।

तौसीअी खुतबा (Informal Programme)
अदारह में बाहर से किसी दानिशवर और उलमा-ए-दीन के आ जाने पर तलबा पहले खुद अपना मुख्तसर प्रोग्राम पेश करते हैं और मेहमानों की नसीहत आमोज़ तक़रीरों से महज़ूज़ हुआ करते हैं ।

तलबा का स्काऊट दस्ता (Boys’ Scout Section)
’’शाहीन’’ के नाम से एक स्काऊट दस्ता भी है, जिस में तकरीबन सब ही तलबा शिरकत किया करते हैं। तलबा को स्काऊट की ट्रेनिंग दी जाती है। लेकिन वसाएल महदूद होने के वजह़ से इन ’’शाहीन बच्चों’’ को वैसी तरबीयत नहीं दी जा पा’ रही है ।

खेल का मैदान (PLAYGROUND)
अदारह से मुलहिक़ खेल का अपना बड़ा मैदान है, जहाँ बाद नमाज़े असर और क़बल मग़रिब तक तलबा फुटबाल, व्रिकेट, वाली बॉल और बैडमिंटन वगैरह खेला करते हैं।

जमीअतुल तलबा (Students’ Association)
तलबा की तहरीरी व तक़रीरी सलाहियतों की नशू व नुमा के लिए एक अंजुमन है, जिस के ओहदेदारों का वह खुद इंतेखाब किया करते हैं। खिताबत की मश्क के लिए हर जुमारात को असातज़ह कराम की निगरानी में बारी-बारी अपना प्रोग्राम उर्दू, हिंदी, अँग्रेजी, अरबी, फारसी, वगैरह में चलाया करते हैं।

अंजुमन तलबा-ए-क़दीम (Old Boys’ Association)
फारगीन तलबा की यह तंज़ीम बहुत पहले क़ायम की गई थी फ़ारग़ीन तुलबा की दिलचस्पी न रहने की वजह़ से मुर्दा हालत में है और बेहिसी का शिकार है। फ़ारग़ीन तुलबा अपनी साबिक़ा रविश को भुला कर अदारह से अपनी मुहब्बत और उल्फत का इज़हार इस तरह करें ।

"ख़ून देकर बढ़ाएँगें शान-ए-व़फा.
मादरे इल्म वो हैं तेरे लाल हम"


शोबा-ए-तामीर-ओ-तरक्की (DEPARTMENT OF BUILDING CONSTRUCTION & DEVELOPMENT)
इस शोबा से नई और पुरानी इमारतों की तामीर-ओ-मरम्मत का काम लिया जाता है।

शोबा-ए-नशर-ओ-अशाअत DEPARTMENT OF INFORMATION & PUBLICITY
इस शोबा से किताबचा, फोलडर, पमफलट, इश्तहार वगैरह अदारह का त्आरूफ, अदारह के क़द्र दानों, मुहसिनों और अवाम से राबता जोड़ने का काम लिया जाता है ।

ऑडिट (Audit)यतीमखाना इस्लामिया गया के हिसाबात को हर साल चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट के ज़रिया ऑडिट कराया जाता है।

याद रखें (Remember)ज़कात की जो रक़में मिला करती हैं, वह सिर्फ यतीम बच्चों पर ही, खर्च, की जाती हैं।

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